Maharana ji


 सभी को मेरा प्रणाम 

तर तर करती धरती,

धम धम करता आसमान,

राणा का एक सिफाई ,

मुगलों के थे सैकड़ों,

काट काट मुगलों को 

बचाया था हिनदुस्तान जिसने 

नाम नहीं जिसका कर्म कर गया भखन

80 किलो का भाला जिसका 

आया ना था जिसके सामने वो अखबर महान

पता था उसको महाराणा का ये अंदाज 

केसरिया लिए हाथ में,

विजय पताका वो लहराता था

घोड़े समेत बहलोल के दो भाग जिसने कर डाले वो 

राणा प्रताप कहलाता था।


हल्दी घाटी ने भी  दिया जिसका साथ वो राणा प्रताप हमारा था,

इंसानों की तो छोड़ो  चेतक ने दिया बलिदान जिसके लिए

वो राणा प्रताप हमारा था।

जय महाराणा

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