योद्धा के शब्द अंतिम ~ RAWLE BANNA
है शब्द मेरे अंतिम ,
क्या चल पाओगे पुरखो के पद चरणों पर ,
में जा रहा हु शाखा करने को , केसरिया भाना पहनकर ,
क्षत्राणी सजा रही जोहर की चिताओ को ,
उदर अग्नि देव स्वयं कांप रहे सतियो के सतीत्व से ,
,
क्या है क्षत्राणी , कैसे सतीत्व है इनका ?
कभी शीश अपना उतार देती ,
कभी दुश्मनो पर काल बन मंडराती है ,
कभी जोहर करती सतीत्व पर
कभी यमराज को बटकाती है ,
कभी धरा को दो हिस्सों में बाट देती है ,
क्षत्राणी के मुख से जो निकले स्वर वह धर्म बनजाता है ,
भृत वंश की धरा पर क्षत्रियो सा बलवान व विरवचनी कहा ,
इतिहास लिखा खून से क्षत्रियो ने ,
कहानियों में कैद नही ,
कभी काली का खप्पड भरे तो ,
कभी बिना शीश रन खेत लड़े ,
क्षत्रिय नक्षत्रो को भेद कर भगवान को चुनोती देते है ,
स्वर्ग जिसके आने की राह स्वयं देखता है ,
उनकी क्या परशंसा करू वो स्वयं देवता है ,
वचन के खातिर शीश कताये ,
वचन के खातिर कभी वनवास भटक जाए ,
सनातन धर्म की रक्षार्थ में स्वयं पर कभी गद्दारी का दाग लगवाए ,
मान , प्रताप , दिल्ली के चौहान , विक्रमादित्य परमार सा बन पाओगे ,
इनके पद चरणों पर चल पाओगे , क्या अपने क्षत्रित्व को बचा पाओगे ,
स्वधर्म पर क्या तुम टिक पाओगे ?
✍️ रावले बन्ना
समय ( 7:24 )
दिनांक ( 30 - 07 -2022 )
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