क्षात्रत्व

इतिहास रचा जा सकता है ,
पर इतिहास बनाया नही जाता ,
स्वाभिमान क्षात्रत्व खून में होता है ,
सिखलाया नही जाता ,
कभी आपकी डोर हुआ करती थी , क्षात्र धर्म 
अब समझ नही आ रहा है , जो आप कर रहे हो वो कोनसा है कर्म ,
इतिहास पुरखो ने रचा तो
 आप क्यो नही रच सकते ,
  क्षत्राणियो का सतीत्व सम्मान जनक था ,
  तो आप क्यो भूल रहे हो उस मार्ग को
  12- 12 साल के बन्ना रणभूमि में कटा सकते थे , सिर
  तो फिर आप आवाज क्यो नही उठा सकते ,
  आप जो आज प्रचार कर रहे हो कि हमारी
  मुस्कुराहट तथा नफरत के आज भी लोग दीवाने है तो ये कतई गलत फहमी है आपकी ,
  क्यो की लोग पुरखो  की मुस्कुराहट तथा नफरत के दीवाने है ,
  क्यो मुस्कुराते पूर्वज तो धरती सुनहरी हो जाती , अगर गुर्राए तो आसमा फट जाता है ,
 अगर बन - ना है आपको बलशाली पूर्वजो की तरह तो उनके रास्तो पर चल कर दिखाओ ना  कि इठलाओ
 जय माँ भवानी 
 Writer :- रावले बन्ना

Comments

Popular posts from this blog

ठिकाना रनारा इतिहास खिंची राजपूत