योद्धा के शब्द अंतिम ~ RAWLE BANNA

है शब्द मेरे अंतिम , क्या चल पाओगे पुरखो के पद चरणों पर , में जा रहा हु शाखा करने को , केसरिया भाना पहनकर , क्षत्राणी सजा रही जोहर की चिताओ को , उदर अग्नि देव स्वयं कांप रहे सतियो के सतीत्व से , , क्या है क्षत्राणी , कैसे सतीत्व है इनका ? कभी शीश अपना उतार देती , कभी दुश्मनो पर काल बन मंडराती है , कभी जोहर करती सतीत्व पर कभी यमराज को बटकाती है , कभी धरा को दो हिस्सों में बाट देती है , क्षत्राणी के मुख से जो निकले स्वर वह धर्म बनजाता है , भृत वंश की धरा पर क्षत्रियो सा बलवान व विरवचनी कहा , इतिहास लिखा खून से क्षत्रियो ने , कहानियों में कैद नही , कभी काली का खप्पड भरे तो , कभी बिना शीश रन खेत लड़े , क्षत्रिय नक्षत्रो को भेद कर भगवान को चुनोती देते है , स्वर्ग जिसके आने की राह स्वयं देखता है , उनकी क्या परशंसा करू वो स्वयं देवता है , वचन के खातिर शीश कताये , वचन के खातिर कभी वनवास भटक जाए , सनातन धर्म की रक्षार्थ में स्वयं पर कभी गद्दारी का दाग लगवाए , मान , प्रताप , दिल्ली के चौहान , विक्रमादित्य परमार सा बन पाओगे , इनके पद चरणों पर चल...