कर्तव्य || RAWLE BANNA
में राजपूत हु , इतना काफी है मेरे लिए ,
मेरे रुतबे के लिए ,
जुठी शान ,
पुरखो से मिली हुई भिक
जिस पर में पल रहा हु ,चल रहा हु
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पूर्वजो ने मुजे गौरवशाली इतिहास दिया ,
की आने वाली पीड़िया अपने कर्तव्यों को ना भूले ,
और में उस इतिहास को दोहराने की जगह ,
उसी में सिमट गया हूं ,
और इतना सिमट गया हूं ,
की अब वो इतिहास भी मुझसे दूरियां बनाते जा रहा है ,
क्यो की भूल गया हूं , में कर्तव्यों को ,
भूल गया हूं में की
सबसे बड़ा दानवीर होकर भी ,
में कुछ सिक्को के स्वार्थ में अपनी संकस्कृति का त्याग कर रहा हु ,
क्यो की में भूल रहा हु अपने आदर्शों को ,
मेरे कुलश्रेष्ठ राजा राम को ,
अपने मान को स्वाभिमान को ,
में भूल रहा हु अपने स्वधर्म को ?
~ रावले बन्ना
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